2 अगस्त 2013

कैसे लिखें हिन्दी में सही सही



                              कैसे लिखें हिन्दी में सही सही 

इंग्लिश के शब्दों को हिंदी में कैसे लिखें. समस्याएँ पुरानी फ़िल्म जब वी मेट के बहाने. 

जब वी मेट या मैट?

तो नायक नायिका मिले? या साथ सोए?

अँगरेजी का यूसेज तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन सवाल यह है अँगरेजी शब्द देवनागरी मेँ लिखेँ कैसे

बदलती हिंदी मेँ अँगरेजी शब्दोँ का यूसेज या प्रचलन तेज़ी से बढ़ रहा है. उन्हेँ देवनागरी मेँ सही सही लिखने मेँ कई समस्याएँ आती हैँ ।

हम हर ध्वनि को वैसा ही बोलना चाहते हैँ जैसा लिखते हैँ, और जैसा बोलते हैँ वैसा ही लिखना चाहते हैँ. लेकिन रोमन लिपि मेँ लिखना पढ़ना हमारी देवनागरी जैसा नहीँ है । उस मेँ ए से ज़ैड तक कुल 26 अक्षर हैँ---और उन के ज़रिए सभी उच्चारण लिखने होते हैँ । उदाहरण के लिए 'सी' (c) को 'स' बोलना है या 'क', यह दर्शाने के लिए 'सी' के बाद कई भिन्न स्वर या वर्ण लगाने की प्रथा बनाई गई है. मोटे तौर पर 

'सी' के बाद 'आई' (i) है या 'ई' (e) या 'सी' के पहले या 'ऐस' (s) है तो उच्चारण है 'स', 

'सी' के बाद मेँ 'ए' (a), 'यू' (u) है या 'ओ' (o) हो तो बोलते हैँ 'क'. 

इसलिए अँगरेजोँ को भी अँगरेजी हिज्जे रटने पड़ते हैँ.

अँगरेजी मेँ स्वरोँ की संख्या तो कुल पाँच है, लेकिन हमारे 10 स्वर उच्चारणोँ की जगह (अँ अः को नहीँ गिना गया है, न ही ऋ ऋ़ लृ को) अँगरेजी मेँ कम से कम 14 हैँ. स्पष्ट है कि देवनागरी के पुराने स्वरोँ और मात्राओं के सहारे वे नहीँ लिखे जा सकते. उन के लिए हमेँ अपने नियम बदलने पड़ेंगे, या नए अक्षर गढ़ने पड़ेंगे, जैसे आ और औ के बीच मेँ ऑ. सवाल उठता है कि उन्हेँ कोश क्रम मेँ कहाँ रखा जाएगा? कोई भी यूज़र कैसे समझेगा कि उसे आ देखना है, ओ, या फिर औ, या ऑ. 

यूरोप की भाषाओं मेँ लिपि तो वही रोमन है, लेकिन अक्षरोँ का उच्चारण अलग है. दूसरे देशोँ के यूरोपियनोँ को या तो अँगरेजी उच्चारण सीखना होता है या हिज्जे. अनेक देवनागरी उच्चारण कई यूरोपीय देशोँ मेँ हैँ ही नहीँ. अँगरेज या फ़्राँसीसी 'खादी' को 'कादी' बोलते हैँ.

विदेशी नामोँ की बात तो दूर, रोमन मेँ लिखे अपने भारतीय शब्द भी हम अपनी भाषाओं मेँ सही नहीँ लिख पाते. मेरे जन्म स्थान 'मेरठ Meerut' को मराठी मेँ 'मीरुत' लिखा जाता है. बाँगला Saurav का सही उच्चारण है 'सौरभ' क्योंकि वहाँ 'व' का उच्चरण 'ब' या 'भ' है, लेकिन हिंदी मेँ उसे 'सौरव' लिखने की प्रवृत्ति है. आम तौर पर हृषिकेश या हृतिक को हिंदी वाले ऋषिकेश या ऋतिक लिखते हैँ. उड़िया 'शात्कड़ी Satkari' को हिंदी मेँ लोग 'सत्कारी' बोलते लिखते हैँ.

सेंटर सैंटर... टेस्ट टैस्ट... वेस्ट वैस्ट... 

आज हिंदी मेँ हर ओर विदेशी शब्दोँ और नामोँ की रेज़ है. अँगरेजी मेँ कहेँ तो rage रेज है. देवनागरी मेँ उन के हिज्जे कई बार भ्रामक हो जाते हैँ. मैँ कुछ वे शब्द ले रहा हूँ जिन मेँ ए या ऐ उच्चारणोँ का घपला है. जैसे पीएमओ (प्रधान मंत्री कार्यालय)... होना चाहिए पीऐमओ. इस के सैकड़ोँ उदाहरण पता नहीँ कब से हिंदी पत्रपत्रिकाओं मेँ मिलते रहे हैँ...

बात शुरू होती है रोमन लिपि के f, h, l, m, n, x अक्षरोँ के उच्चारणोँ की हमारी लिखावट से. हम लिखते हैँ-- एफ़, एच, एल, एम, एन, एक्स... जो सही है और जो होना चाहिए वह है ऐफ़, ऐच, ऐल, ऐम, ऐन, ऐक्स.
कई बार भयंकर परिणाम होता है, जैसे...

फ़िल्म जब वी मेट के नाम मेँ. 

हिंदी मेँ नाम लिखने वाला कहना चाहता था जब नायक नायिका मिले - यानी जब वी मैट. लेकिन जो उस ने लिखा उस का मतलब होता है जब नायक और नायिका ने परस्पर शारीरिक संबंध स्थापित किया. 

कुछ अन्य उदाहरण... 
taste टेस्ट, test टेस्ट (होना चाहिए टैस्ट), 
match (लिखते हैँ मेच होना चाहिए मैच). अगर यह लिखते रहना है तो यह वाक्य कैसे लगेँगे? फ़ूड के टेस्ट का असली टेस्ट तो खाने मेँ है. टेस्ट मेच को देखने का पूरा टेस्ट को स्टेडियम मेँ ही आता है.
rate रेट, rat रेट. यदि rat (चूहा) है तो भी लिखते हैँ रेट, (होना चाहिए रैट), rattle (झुनझुना) रेटल (चाहिए रैटल), 
mate मेट, met मेट (होना चाहिए मैट) की बात तो ऊपर हो ही चुकी है. 
metro को लिखते हैँ मेट्रो (होना चाहिए मैट्रो), 
sale सेल, sell सेल (होना चाहिए सैल). 

इसी तर्ज़ पर हाल ही मैँ ने एक सुप्रसिद्ध हिंदी दैनिक मेँ पढ़ा-- बेस्ट सेलर. हँसी भी आई और दया भी-- बैस्ट सैलर (बहुत बिकने वाली पुस्तक) का कैसा विद्रूप!

-- अरविन्द कुमार 
( ग़ाज़ियाबाद उ प़ )  

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