कुछ रोचक बातें।
फिर भी अंगरेजीकी ही जय हो -- ?
Broadcast Audience Research Council of India के साप्ताहिक आँकडे बताते हैं कि पिछले सप्ताह अंगरेजी समाचार चॅनलोंकी तुलनामें हिंदी समाचार चॅनेलोंके दर्शकोंकी संख्या करीब २०० गुना अधिक हैं। फिर भी हमारे हिंदी चॅनेल अपने शीर्षक और अपने वक्तव्योंको अधिकसे अधिक अंगरेजियत में ढालनेकी होड में हैं।
Broadcast Audience Research Council of India के साप्ताहिक आँकडे बताते हैं कि पिछले सप्ताह अंगरेजी समाचार चॅनलोंकी तुलनामें हिंदी समाचार चॅनेलोंके दर्शकोंकी संख्या करीब २०० गुना अधिक हैं। फिर भी हमारे हिंदी चॅनेल अपने शीर्षक और अपने वक्तव्योंको अधिकसे अधिक अंगरेजियत में ढालनेकी होड में हैं।
--- लीना मेंहदले
( मुम्बई )
चाँद के बारे में
1. अब तक सिर्फ 12 मनुष्य चाँद पर गए है.
2. चांद धरती के आकार का सिर्फ27प्रतीशत हिस्सा ही है.
3. चाँद का वजन लगभग 81,00,00,00,000(81 अरब) टन है.
4. पूरा चाँद आधे चाँद से 9गुना ज्यादाचमकदार होता है.
5. नील आर्मस्ट्रोग ने चाँद पर जब अपनापहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँदकी जमीन पर बना वह अब तक है और अगले कुछलाखों सालो तक ऐसा हीरहेगा.क्योंकि चांद पर हवा तो है ही नहीजो इसे मिटा दे.
6. जब अंतरिक्ष यात्री एलन सैपर्ड चाँद परथे तब उन्होंने एक golf ball को hitमाराजोकि तकरीबन 800 मीटर दूर तक गई.
7. अगर आप का वजन धरती पर 60 किलो हैतो चाँद की low gravity की वजह से चाँदपर आपका वजन 10किलो ही होगा.
8. चाँद पर पड़े काले धब्बों को चीन में चाँदपर मेढ़क कहा जाता है.
9. जब सारे अपोलो अंतरिक्ष यान चाँद सेवापिस आए तब वह कुल मिलाकर 296चट्टानों के टुकड़े लेकर आए जिनकाद्रव्यमान(वजन) 382 किलो था.
10. चाँद का सिर्फ 59 प्रतीशत हिस्साही धरती से दिखता है.
11. चाँद धरती के ईर्ध-गिर्द घूमते समयअपना सिर्फ एक हिस्सा ही धरती कीतरह रखता है इसलिए चाँद का दूसरापासा आज तक धरती से किसी मनुष्य नेनही देखा.
12. चाँद का व्यास धरती के व्यास कासिर्फ चौथा हिस्सा है और लगभग49 चाँदधरती में समा सकते हैं.
13. क्या आपको पता है चाँद हर सालधरती से4 सैटीमीटर दूर खिसक रहा है.अबसे 50 अरब साल बाद चाँद धरती के ईर्द-गिर्द एक चक्कर 47 दिन में पूरा करेगा जोकि अब 27.3 दिनो में कर रहा है.पर यहहोगा नही क्योकि अब से 5 अरब सालबाद ही धरती सूर्य के साथ खत्म होजाएगी ।
( कुमार वीरेन्द्र के सौजन्य से )
साहित्यकारों के घरों की दुर्दशा
निराला के गांव गढ़ाकोला में। उन्नाव से करीब 40 किमी दूर, बीघापुर रेलवे स्टेशन से आगे। यह वह गांव है जहां निराला के नाम पर स्कूल, कालेज, पार्क बने हैं पर लोग निराला के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। निराला को न जानना उनके जीवन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालता, शायद इसीलिए उन्हें नहीं जानते। गांव के एक व्यक्ति से पूछा तो वह कुनमुनाते, सकुचाते बोला- हां, रहे तो कउनौ महान आदमी। उसके मन में निराला की कोई देवता या विस्मृत ईश्वर जैसी छवि थी जिसकी अब मूर्तियां बनाई जाने लगी हैं। गांव में ब्यूटी पार्लर का होना इस बात को सिद्ध कर रहा है कि इस देश में ब्यूटी पार्लर अब भगवान की तरह सर्वव्यापी हो चुके हैं। बाकी ज्वैलरी की दुकान है और कृषि मंडी भी। निराला के घर में राजकुमार त्रिपाठी का परिवार रहता है जो निराला के चचेरे भाई के प्रपौत्र हैं। उन्हीं त्रिपाठी जी की पत्नी ने बताया कि वसंत पंचमी पर अधिकारी और कुछ साहित्य-प्रशंसक इस गांव में आते हैं, कुछ वादे कर के जाते हैं पर होता कुछ नहीं। सड़क टूटी है। उनके नाम पर बना पार्क उजड़ा सा है और उसमें जुआं खेलने वाले बैठे रहते हैं। जब ताश के पत्ते फेंटे जाते होंगे तो दुनिया को उलट-पुलट कर न रख पाने की कुंठा को राहत पहुंचती होगी। पुस्तकालय में किताबें गायब हैं, वैसे ही जैसे देश के पढे-लिखे लोगों के मन से विवेक। निराला जिस कमरे में रहते थे, उस पर ताला लगा रहता है। राजकुमार त्रिपाठी निराला के नाम पर स्थापित डिग्री कालेज में पांच हजार रुपये पर चपरासी की नौकरी करते हैं। थोड़ा विडंबनासूचक तो है कि निराला के वंशज निराला के नाम पर बने संस्थान में चपरासी बनकर रह गए हैं। यह यथार्थ 'सुररियलिज्म' में बदल जाना है। जो भी हो, उनके वंशजों का परिवार आतिथ्य के गुणों से भरपूर है। उनकी चाय, पानी, मिठाई के लिए दिल से शब्द निकला- शुक्रिया।
--- वैभव सिंह
यह टिप्पणी पढ कर मैं इस पर यह लिखा ---
साहित्यकारों की यह उपेक्षा भारत में ही है । विदेशी साहित्यकारों की स्मृयों को वहाँ के लोग सहेज कर रखते हैं । बर्लिन में मैं ब्रेख़्त का मकान देखने गया तो पाया कि वह वैसी ही स्थित में है जैसा ब्रेख़्त के जीवनकाल में था । उन की चीज़ें संभाल कर रखी गई हैं । उस की देखभाल के लिए सरकारी व्यवस्था है ।
--- सुधेश
तो अलाहाबाद के निवासी अनुपम परिहार ने यह टिप्पणी की --
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