ब्लाग क्यों
मैं ंएक कवि ,लेखक और प़ाध्यापक होने के नाते अनेक विषयों पर चिन्तन करता रहा हूँ ।
उस के परिणाम मेरी पुस्तकों में प़कट हुए हैं ।पर मैं ने देखा कि पुस्तकों के प़काशन में अनेक
कठिनाइयाँ हैं क्यों कि प़काशन प़काशकों पर निर्भर है जो प़ाय: नए लेखकों की पुस्तकें
नहीं ंछापते या पैसा ले कर ंछापते हैं । पत्रिकाओं में भी गुटबन्दी काम करती है । नया लेखक
कहाँ जाए । लेखकों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई है ।उन के लिंए ब्लाग एक शरणस्थल
है ।
अब हिन्दी में लगंभग बीस हज़ार ब्लाग चल रहे हैं जो लेखकों की ंआवश्यकता को पूरी
करते हैं । फिर भी नंए ब्लाग की ज़रूरत महसूस करते हुंए मैं ने चिन्तनपल शुरु किया ।
मित्रों शुभचिन्तकों के सहयोग को आमंत्रित करता हूँ ।
अपनी रचनांएं ईमेल से ंभेजने की कृपा करें ।
- डा सुधेश ३१४ सरल अपार्टमैैंट्स , द्वारिका सैैक्टर १०
नई दिल्ली ११००७५ फ़ोन ०९३५०९७४१२०
ईमेल drsudhesh@gmail.com
सर बहुत -बहुत बधाई |आपका यह उम्दा प्रयास ब्लॉग की दुनिया में मील का पत्थर साबित हो |
जवाब देंहटाएंhardik badhai, sreeman
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