5 अप्रैल 2013

कुछ लघु कथाएँ

              कुछ और लघु कथाएँ 

              नियति 
मल्होत्रा साहब की विदेशी कार सड़क पर मक्खन पर छुरी की तरह दौड़ रही थी कि 
अचानक उन्हें ब़ेक मारना पड़ा । सामने से भाग कर निकलता हुआ वो नांक पूँछता 
बच्चा बाल बाल बच गया ।
  "" कुत्ते का बच्चा "  सिगार झाड़ते हुए मल्होत्रा साहब के मुँह से गाली निकली ।
अपने क़ीमती वक़्त को घड़ी में झाँकने के बाद उन्होंने अपनी विदेशी कार मेन रोड 
पर मोड़ दी ।
 " भड़ाक " उफ़ !  मल्होत्रा साहब की कार विदेशी को वो ट्र्क  कई मीटर तक घसीटता 
ले गया । मल्होत्रा साहब की विदेशी कार को क्षतविक्षत  देख कर दर्शकों में से कोई 
कह रहा था  " साला  कुत्ते की मौत मारा गया " ।
            दृष्टिकोण 
समय धरती के मुआयने पर निकला था । रास्ते में एक जोड़ा पास से गुज़रा ।
 "हमारी शादी को चार साल हो गये हैं , पर ऐसा लगता है जैसे कल ही हुई हो । 
है ना " ।
सुन कर अजीब सा लगा । ख़ैर , वह आगे बढ़ गया और ख़ैराती हस्पताल में घुस 
गया । बिस्तर पर पड़ी एक ज़िन्दा लाश के पास से गुज़र रहा था कि मुँह से एक 
अस्फुट स्वर सुनाई दिया  --" एक एक पल एक साल लगता है ।अब तो मुक्ति 
दे ऊपर वाले ।" 
 समय को अपनी निरन्तर गति पर भ़म होने लगा था । तभी  सर्र से एक ट्रक 
बराबर से गुज़र गया । कहीं बहुत दूर एक बस धीरे धीरे चलती सी दिखाई पड़
रही थी ।
 समय भी वापस चल पड़ा क्योंकि दृष्टिकोणों का अन्तर उसे समझ मे आने लगा 
था । 
----- संजय शर्मा सुधेश ( अमेरिका ) 
           

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