2 जुलाई 2015

रोचक तथ्य

          रोचक तथ्य

     जिन्ना का सच 

बरेली से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका साहित्यायन के अक्तूबर दिसम्बर सन२०१४ के अंक में 
डा सुरेश चन्द्र गुप्त का एक लेख " जिन्ना और गांधी " पढ़ कर पता चला कि पाकिस्तान के 
बानी मुहम्मद अली जिन्ना के पितामह एक गुजराती हिन्दू बनिया थे । उन से पूर्वज इस्लाम 
में किस कारण धर्मान्तरित हुए , यह तो पता नहीं पर हिन्दू के वंशज जिन्ना हिन्दू विरोधी 
हो गये । भारत विभाजन में उन की ज़िद और अंग्रेज़ों की कूटनीति की विशेष भूमिका थी । 
पाकिस्तान बनने पर लाखों हिन्दुओं   मुसलमानों और सिक्खों का जो ख़ून बहा , उस के 
लिए जिन्ना भी ज़िम्मेदार थे । 

     कश्मीर के शेख़ अब्दुल्ला का सच 

एक दिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शेख़ अब्दुल्ला के पुत्र फ़ारुक अब्दुल्ला 
भाषण देने आए । भाषण के बाद वे कहीं जा रहे थे । रास्ते में मैं ने सुना कि वे किसी से 
कह रहे थे " हमारे forefathers भी कभी पण्डित थे । " 
पण्डित के एक वंशज शेख़ अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर राज्य के भारत में विलय के बाद 
उसे भारत से अलग एक स्वतन्त्र राज्य बनाने का षड़यन्त्र रचा जो जवाहर लाल नेहरू 
के कारण सफल नहीं हो सका । 
हिन्दू धर्म के अनेक लोग किन्हीं कारणों से मुसलमान बनने के बाद हिन्दुओं के कट्टर 
शत्रु होगये । 
-- सुधेश

  ग़दर पार्टी का इतिहास 

   डा वेद प़काश वटुक हिन्दी ,संस्कृत ,लोकसाहित्य के विद्वान  कवि ,आलोचक और
चिन्तक हैं ।उन की नई पुस्तक विपन्नता से क्रान्ति की ओर सन २०११ में छपी थी जिस की मेरे 
द्वारा लिखित समीक्षा का सार नीचे दिया जा रहा है --
        डा वेद प़काश वटुक की प्रस्तुत  पुस्तक में ग़दर पार्टी की गतिविधियों का प्रामाणिक 
इतिहास दिया गया है ,जिसे पढ़ कर पाठक प्रभावित सेंंअधिक उत्तेजित होंगे  ।जिसे ग़दर पार्टी 
कहा जाता है वह अमेरिका के राज्य कैलिफ़ोर्निया के नगर सानफ़ांसिसको में अप़ैल सन १९१३ मे ं
स्थापित संंस्था हिन्दी एसोशिएशन आफ पैसेंफिक कोस्ट का प़चलित नाम है । यह नाम इसे 
इस के साप्ताहिक पत्र  ग़दर के कारण मिला । इस की बड़ी लोक प्रियता  के कारण इसे छापने 
वाली संस्था को भी ग़दर पार्टी कहने लगे । यह साप्ताहिक पहले उर्दू में छपता था , बाद में
पंजाबी में भी छपने लगा । 
       इस तथाकथित ग़दर पार्टी के प्रधान सोहन सिंह मकना और प्रथम  महासचिव लाला
हर दयाल थे । उन के सम्पादकीयों तथा अन्य सामग़ी के कारण भारत की ब़िटिंश सरकार 
ने इस के भारत प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी ।  ग़दर पार्टी के मुख्यालय का नाम युगान्तर  आश्रम था ,
जिस का नामकरंण  बंगाल के क़ान्तिकारी समाचारपत्र  युगान्तर के आधार पर किया 
गया था । 
       युगान्तर आश्रम आज भी सानफ्रांसिसको की ५ नम्बर की वुडस्ट्रीट पर आधुनिक नाम 
ग़दर मैमेरियल भवन के रूप में स्थापित है,जो ंउन बलिदानियों की याद दिलाता है  जो सात
समुन्दर पार अपनी जन्म भूमि ंभारत को ंअंग़ेजों की ग़ुलामी से मुक्त कराने के लिए  शहीद 
होगये ।
        ग़दर पार्टी के नेताओं में सोहन सिंह मकना  , हर दयाल ,केसर सिंह ,ज्ञानी भगवान 
सिंह ,भाई महावीर ,पंडित काशी राम , जगत राम ,बरक़तुल्ला खां ,हरि सिंह ंउस्मान आदि 
अनेक वीर बलिदानी थे । डा वटुक ने ये सारे तथ्य प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किये हैं ।
       जिन बलिदानियों को भारत में लगभग भुला दिया गया है उन्हें वटुक जी ने बड़े 
आदर के साथ याद किया है और ंभारतीयों को ंउन की  अहसानफरामोशी  की याद भी 
दिलाई  है ।
        जैसे नेता जी सुभाष चन्द़ बोस के योगदान की चर्चा प्राय: नहीं होती वैसे ग़दर 
पार्टी के योग दान को हिन्दुस्तानी भूलते  जा रहे हैं । डा वटुक की यह पुस्तक एक अनिवार्य 
और पठनीय पुस्तक है ,जिसे दिल्ली के अलंकार प्रकाशन ने छापा है ।लेखक और प्रकाशक 
बंधाई के पात्र हैंं ।
 -- डा  सुधेश 




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