डा वेद प़काश वटुक हिन्दी ,संस्कृत ,लोकसाहित्य के विद्वान कवि ,आलोचक और
चिन्तक हैं ।उन की नई पुस्तक विपन्नता से क़ान्ति की ओर सन २०११ में छपी थी जिस की मेरे
द्वारा लिखित समीक्षा का सार नीचे दिया जा रहा है --
डा वेद प़काश वटुक की प़स्तुत पुस्तक में ग़दर पार्टी की गतिविधियों का प़ामाणिक
इतिहास दिया गया है ,जिसे पढ़ कर पाठक प़भावित सेंंअधिक उत्तेजितहोंगे ।जिसे ग़दर पार्टी
कहा जाता है वह अमेरिकाके राज्य कैलिफ़ोर्निया के नगर सानफ़ांसिसको में अप़ैल सन १९१३ मे ंस्थापित संंस्था हिन्दी एसोशिएशन आफ पैसेंफिक कोस्ट का प़चलित नाम है । यह नाम इसे
इस के साप्ताहिक पत्र ग़दर के कारंण मिला । इस की बड़ी लोक प़ियता के कारंण इसे छापने
वाली संस्था को भी ग़दर पार्टी कहने लगे । यह साप्ताहिक पहले उर्दू में छपता था , बाद में
पंजाबी में भी छपने लगा ।
इस तथाकथित ग़दर पार्टी के प़धान सोहन सिंह मकना और प़थम महासचिव लाला
हर दयाल थे । उन के सम्पादकीयों तथा अन्य सामग़ी के कारंण भारत की ब़िटिंश सरकार
ने इस के भारत प़वेश पर पाबन्दी लगा दी । ग़दर पार्टी के मुख्यालय का नाम युगान्तर आश्रम था ,जिस का नामकरंण बंगाल के क़ान्तिकारी समाचारपत्र युगान्तर के आधार पर किया
गया था ।
युगान्तर आश्रम आज भी सानंफांसिको की ५ नम्बर की वुडस्ट्रीट पर आधुनिक नाम
ग़दर मैमेरियल भवन के रूप में स्थापित है,जो ंउन बलिदानियों की याद दिलाता है जो सात
समुन्दर पार अपनी जन्म भूमि ंभारत को ंअंग़ेजों की ग़ुलामी से मुक्त कराने के लिए शहीद
होगये ।
ग़दर पार्टी के नेताओं में सोहन सिंह मकना , हर दयाल ,केसर सिंह ,ज्ञानी भगवान
सिंह ,भाई महावीर ,पंडित काशी राम , जगत राम ,बरक़तुल्ला खां ,हरि सिंह ंउस्मान आदि
अनेक वीर बलिदानी थे । डा वटुक ने ये सारे तथ्य प़माणों के साथ प़स्तुत किये हैं ।
जिन बलिदानियों को भारत में लगभग भुला दिया गया है उन्हें वटुक जी ने बड़े
आदर के साथ याद किया है और ंभारतीयों को ंउन की अहसानफरामोशी की याद भी
दिलांई है ।
जैसे नेता जी सुभाष चन्द़ बोस के योगदान की चर्चा प़ाय: नहीं होती वैसे ग़दर
पार्टी के योग दान को हिन्दुस्तानी भुूलते जा रहे हैं । डा वटुक की यह पुस्तक एक अनिवार्य
और पठनीय पुस्तक है ,जिसे दिल्ली के अलंकार प़काशन ने छापा है ।लेखक और प़काशक
बंधाई के पात्र हैंं ।
-- डा सुधेश
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