23 मई 2014

रोचक तथ्य


रोचक तथ्य

1378 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है इरान!
1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान!
1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है पाकिस्तान!
1971 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है बंगला देश
( आशीष सिंह के सौजन्य से )

अभी मित्र ‪#‎पंकज_मोहन‬ ने बताया कि जिसे हम ‪#‎सुनामी‬ कहते हैं, वह मूलतः जापानी भाषा का शब्द है, और वहां इसका उच्चारण ‪#‎चुनामी‬ है !
अभी अंगरेज़ी शब्दकोश देखा, तो जिस रूप में (tsunami), इसे वहां अपनाया गया है, इसका उच्चारण सुनामी ही है. पर वहां भी इसके जापानी मूल का उल्लेख है.
मौजूदा संदर्भों में चुनामी अधिक अर्थ-गर्भित लगता है ! चुनाव के माहौल में इसके अतिशय प्रयोग ने इसका अर्थ ही बदल दिया है ! डराने का काम भी किया है !‪#‎नामी‬ का मतलब लहर है, जापानी में ! तो चुनाव का आद्याक्षर इसके साथ जुड़ जाने से, वैसे भी, इसकी सांकेतिकता और बढ़ जाती है ! लक्षणा-व्यंजना, दोनों की दृष्टि से !
मोहन श्रोत्रिय
( जयपुर ,राजस्थान )

लेखक को लूटो !

"प्रकाशक जितनी रायल्टी लेखक को देते हैं उससे ज़्यादा कमीशन बुकसेलर को देते हैं । अगर लेखक को 15 परसेंट देते हैं तो बुक सेलर को ये 40 परसेंट कमीशन देते हैं । तो बुकसेलर और प्रकाशक मिलकर पाठक को लूटते हैं ।"
- रामविलास शर्मा ( लालित्य ललित के एक प्रश्न पर )
( जय प्रकाश मानस के सौजन्य से )


 डॉ.रामविलास शर्मा प्रकाशको की इन्हीं कारगुज़ारियों की वज़ह से अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अपनी कुछ महत्वपूर्ण किताबें दिल्ली विश्वविद्यालय के "हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय" को दे दिया था बिना किसी रॉयल्टी के. आज भी इन किताबों की किमत देखिए बड़ा सुकून लगता है. उन्होंने निदेशालय को साफ कह दिया था कि न मैं फायदा लूँगा न आपको फायदा लेना होगा. तब जाकर ये किताबें छपीं..
1. स्वाधीता संग्रामः बदलते परिप्रेक्ष्य
2. भारतीय नवजागर और युरुप
3. ऐतिहासिक भौतिकवाद...
आदि..
इसके मूल्य देखिए और बड़े प्रकाशकों मसलन राजकमल और वाणी से छपी किताबों के मूल्य..
--रवि रंजन

पन्त की आलोचना फ़िराक़ द्वारा

फिराक साहब हिन्दी की गजब आलोचना करते थे ,
अपने समकालीनों में एक निराला की कविता पसंद
करते थे . एक बार उनके सामने किसी ने पंत
की तारीफ की "बेहद अच्छे हिंदी कवि है पन्त !
आपने पढा है उनको ? " फिराक का जबाब था ,
पढ तो मैं उनको लेता बस जरा कोइ उनकी कविताओं
का अनुवाद हिंदी में कर देता तो "
एनी वे हैप्पी बड्डे पंत ! साहित्य में
गुटबाजी आपही की देन है ।

अवन्तिका सिंह
( नई दिल्ली )
( पन्त ने पल्लव की भूमिका में निराला की कटु आलोचना की थी । तो निराला ने पन्त की अच्छी
ख़बर ली । इस से कुछ लोगों को लगा होगा कि दोनों में गुटबाज़ी है । इस के बावजूद पन्त ने
निराला पर बड़ी मार्मिक कविता लिखी है। __सुधेश )

हिन्दी राजभाषा बनी

भारत के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक भारत के नए प्रधानमंत्री ने हिन्दी के माध्यम से जनता से संवाद किया है तथा सत्ता की कुर्सी हासिल की है। अब राजकाज की भाषा भी राजभाषा हिन्दी ही होनी चाहिए। अंग्रेजी के विद्वानों ने तथा अंग्रेजी के संदर्भ ग्रंथों ने यह गलत, मिथ्या एवं झूठी मान्यता प्रसारित कर दी है कि संविधान सभा ने एक मत से अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी को राजभाषा बना दिया। यह सरासर गलत है। संविधान सभा में बहस का मुद्दा यह था कि राजभाषा हिन्दी हो अथवा हिन्दुस्तानी हो। एक मत की अधिकता से देवनागरी के अंकों के स्थान पर अन्तरराष्ट्रीय अंकों को स्वीकार किया गया। लोकतंत्र में राजभाषा राजा की भाषा नहीं होती अपितु वह सरकार और जनता के बीच संवाद की भाषा होती है।

-- महावीर शरण जैन
( बुलन्द शहर उ प्र )










1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही रोचक तथ्य .. इतिहास के तथ्य तो आँखें खोने वाले हैं ...
    बाकी तथ्य बहुत ही रोचक ... जिनकी जानकारी बहुत मुश्किल से होती है ...

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